शीत लहर का फसलों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। शीत लहर कुछ फसलों के लिए वरदान है, तो कुछ के लिए अभिशाप। आइए जानते हैं शीत लहर का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।देश के अधिकांश राज्यों में कड़ाके की ठंड के साथ ही शीत लहर का प्रकोप भी शुरू हो गया है। ऐसे में फसलों को नुकसान पहुंचने की पूरी संभावना है। ऐसे में किसानों को सलाह है कि वे अपनी फसलों को ठंड से बचाएं। पाले के कारण पौधों के झुलसने, दलहनी फसलों की पत्तियों, फलियों और बालियों का रंग उड़ जाने, दाने नहीं बनने और दाने सिकुड़ने, फलों के सिकुड़ने और गुच्छों में गिरने से पैदावार में नुकसान का खतरा है।
लेकिन कई फसलों को नुकसान पहुंचाने के बजाय शीत लहरें ज्यादा पसंद हैं। लेकिन देवदार को थोड़ी देखभाल और ध्यान देने की जरूरत है। शीत लहर में ज्यादातर फसलें पाले और कई तरह की बीमारियों से प्रभावित हो जाती हैं। हालांकि गेहूं, अरहर, सरसों, चना, मटर, अलसी, गन्ना आदि पर शीत लहर का असर नहीं होता। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक सरसों और गेहूं की फसलों को ठंड से ज्यादा फायदा होता है। इससे इन फसलों की पैदावार बढ़ने की संभावना है। हालांकि गेहूं को छोड़कर सरसों और अरहर समेत अन्य फसलों को कई दिनों तक चलने वाली शीत लहरें नुकसान पहुंचा सकती हैं।शीतलहर का सबसे बुरा असर फलों और सब्जियों की फसलों पर पड़ता है। ऐसे में इन्हें बचाना बहुत जरूरी हो जाता है। आलू, भिंडी, गोभी, बैंगन, मूली, टमाटर जैसी फसलों पर पाला पड़ने की संभावना है। इसके अलावा पपीता और केले की फसलों पर भी फलों के बीच पाला पड़ने की आशंका है। ऐसे में इन्हें ठंड से बचाना बेहद जरूरी हो जाता है। पाले से जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम आदि फसलों पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है।
पाले से फसलों को बचाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सिंचाई, दवाओं का छिड़काव और प्लास्टिक कवर, पुआल या जूट की बोरियों से ढककर पौधों को पाले से बचाया जा सकता है। हालांकि, इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि पौधों पर अधिक भार न पड़े। इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होता और नुकसान से बचा जा सकता है। हालांकि, फसलों को ढकने के लिए प्लास्टिक कवर महंगे किसानों को महंगा सौदा लगता है। ऐसे में उनके लिए दूसरे सुझाव कारगर साबित हो सकते हैं।